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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 चित्रकला - भारतीय वास्तुकला का इतिहास-II

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2804
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 चित्रकला - भारतीय वास्तुकला का इतिहास-II - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- राजस्थानी उपशैलियाँ कौन-सी हैं ?

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. मेवाड़ शैली में व्यक्ति चित्रण कैसा किया गया है?
2. किशनगढ़ शैली के प्रमुख चित्र किसने बनाए हैं?

उत्तर-

राजस्थान की उपशैलियाँ

मेवाड़ शैली

मेवाड़ शैली के आरम्भिक चित्र अपभ्रंश शैली में निर्मित जैन ग्रन्थ सुपार्श्वनाथचरितम् (सुपासनाहचर्यम्) में प्राप्त होते हैं। इसका रचनाकाल 1423 ई० है ।

इस शैली में सर्वाधिक कृतियाँ कृष्णभक्ति को लेकर निर्मित हुई ।

1648 ई० में साहबदीन नामक चित्रकार ने उदयपुर में श्रीमद् भागवत के चित्र अंकित किए।

मनोहर नामक चित्रकार ने 1649 ई० में रामायण चित्रित की। यह प्रति अब प्रिंस ऑफ वेल्स संग्रहालय बम्बई में है।

इस शैली में केशवदास कृत रसिक प्रिया भी चित्रकारों का प्रिय विषय रही।

इस शैली का चरमोत्कर्ष जगत सिंह के शासनकाल में हआ था ।

चित्रकारों ने प्राय: सुर्ख (लाल) केसरिया, पीले तथा लाजवर्द आदि चमकदार व तेज रंगों का प्रयोग किया है।

स्त्री-पुरुषों की मुखाकृति में लम्बी नासिका, मछली जैसे नेत्र बनाये गये है मुखाकृति अण्डाकार है।

पुरुषों को प्रायः घेरदार जामा पट्टियों अथवा ज्यामितीय अलंकरण से युक्त लम्बा पटका जहाँगीर तथा शाहजहाँ के समय में प्रचलित अटपटी पगड़ी पहनायी गयी है।

स्त्रियों को प्रायः बूटेदार अथवा सादा लहंगा चोली एवं पारदर्शी ओढ़नी पहनायी गयी है। मेवाड़ शैली के अधिकतर चित्र ग्रन्थ-चित्रण के रूप में मिलते हैं। इसके अतिरिक्त भित्ति चित्रण की परम्परा भी दिखाई पड़ती है।

ग्रन्थ चित्रों में केशव की रसिक प्रिया तथा बिहारी की बिहारी सतसई का चित्रण सर्वाधिक हुआ है।

ढोला मारू बारहमासा रागरागिनी आदि मेवाड़ शैली के प्रमुख विषय रहे हैं।

प्रकृति का संतुलित चित्रण मेवाड़ शैली की विशेषता है जो आलंकारिक ढंग से चित्रित है।

नाथद्वारा उपशैली

इस उपशैली का उद्भव एवं विकास नाथद्वारा में श्रीनाथजी की मूर्ति प्रतिष्ठित किये जाने के अनन्तर हुआ।

नाथद्वारा शैली की सबसे बढ़ी देन पिछवई चित्रण है। भगवान् श्रीनाथ जी के स्वरूप सज्जा हेतु उनके पीछे लगाये जाने वाले पटचित्रों की कलात्मकता के कारण ये पिछवई बहुत प्रसिद्ध है।

इस शेली में कृष्ण चरित्र की बहुलता दिखायी पड़ती है।

इस चित्र शैली में लोककला की सरलता, सहजता एवं गतिशीलता दिखायी पड़ती है।

किशनगढ़ शैली

राजनैतिक दृष्टिकोण से किशनगढ़ राजस्थान के अन्य नगरों की तुलना में बहुत अधिक महत्वपूर्ण नहीं परन्तु कला के क्षेत्र में इस नगर का एक विशिष्ट महत्व है। किशनगढ़ नगर जयपुर तथा अजमेर के मध्य में स्थित है वह नगर अपनी बहुत ही सुन्दर झील के कारण बहुत प्रसिद्ध है जिसके एक ओर राजाओं के प्रासाद हैं।

झील के मध्य में एक श्वेत रंग का महल है। जहाँ नौका माध्यम से ही जाया जा सकता है। मानसून के दौरान इस झील का सौन्दर्य देखते ही बनता है जब सम्पूर्ण झील जल बत्तख और कमल से भरी होती है।

वैष्णव भक्ति की रस परम्परा से अभिसिंचित् भक्त कवि एवं शासन सावन्त सिंह उपनाम नागरी दास के रसमय पदों से निस्तृत मधुर बनी-ठनी के लवलीन सौन्दर्य की प्रेरणा से पल्लवित किशनगढ़ शैली किशनगढ़ रियासत के गौरव को बढ़ाने में पूर्णतः सहायक है।

ऐसा माना जाता है कि जहाँ मुस्लिम साम्राज्य की जड़ें जमाने में राजपूत शासको ने सहयोग दिया वहीं मुगल संगीत, कला, वास्तु चित्रण आदि ने भी राजपूत कलाकारों को प्रेरणा दी किशन सिंह के अकबर से सम्बन्ध थे तो रूपसिंह के शाहजहाँ से दिल्ली दरबार से बहुत से चित्रकार रूपसिंह के दरबार में चित्रण हेतु आये जिसमें अमर चन्द्र, सूरत राम निहालचन्द तथा भवानीदास प्रमुख थे।

इन कलाकारों द्वारा स्वर्ण का बहुत सुन्दर प्रयोग किशनगढ़ चित्रों में किया गया। इन सभी कलाकारों में भवानी दास को सबसे अधिक मासिक आय दी जाती थी। इसके बाद 1730 के लगभग जब निहालचन्द ने चित्रण प्रारम्भ किया तब से वह अत्यन्त प्रसिद्ध हो गये। उन्होंने राजा राजसिंह तथा सावन्त सिंह के आश्रय में कार्य किया तथा उनकी मृत्यु के बाद भी लगभग 16 वर्षों तक वह वहाँ कार्य करते रहे। निहालचन्द के चित्रण का मुख्य विषय कृष्ण लीला था । विद्वान ऐसा मानते हैं कि किशनगढ़ शैली के बने प्रमुख चित्र निहालचन्द्र की तूलिका के ही परिणाम हैं।

किशनगढ़ नगर राजा किशन सिंह (1609-1615) द्वारा खोजा गया जो जोधपुर के राजा अनुज थे। वह जोधपुर छोड़कर अजमेर में अकबर के सम्पर्क में आये और किशनगढ़ राज्य स्थापित करने में समक्ष बने। 1706 से 1748 ई० के दौरान किशनगढ़ में राज सिंह का शासन था जिनके समय में कला की विशिष्ट उन्नति हुई वह स्वयं भी एक उत्तम चित्रकार थे। इनके चित्रण का प्रिय विषय था कृष्ण लीला |

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- पाल शैली पर एक निबन्धात्मक लेख लिखिए।
  2. प्रश्न- पाल शैली के मूर्तिकला, चित्रकला तथा स्थापत्य कला के बारे में आप क्या जानते है?
  3. प्रश्न- पाल शैली की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
  4. प्रश्न- पाल शैली के चित्रों की विशेषताएँ लिखिए।
  5. प्रश्न- अपभ्रंश चित्रकला के नामकरण तथा शैली की पूर्ण विवेचना कीजिए।
  6. प्रश्न- पाल चित्र-शैली को संक्षेप में लिखिए।
  7. प्रश्न- बीकानेर स्कूल के बारे में आप क्या जानते हैं?
  8. प्रश्न- बीकानेर चित्रकला शैली किससे संबंधित है?
  9. प्रश्न- बूँदी शैली के चित्रों की विशेषताओं की सचित्र व्याख्या कीजिए।
  10. प्रश्न- राजपूत चित्र - शैली पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
  11. प्रश्न- बूँदी कोटा स्कूल ऑफ मिनिएचर पेंटिंग क्या है?
  12. प्रश्न- बूँदी शैली के चित्रों की विशेषताएँ लिखिये।
  13. प्रश्न- बूँदी कला पर टिप्पणी लिखिए।
  14. प्रश्न- बूँदी कला का परिचय दीजिए।
  15. प्रश्न- राजस्थानी शैली के विकास क्रम की चर्चा कीजिए।
  16. प्रश्न- राजस्थानी शैली की विषयवस्तु क्या थी?
  17. प्रश्न- राजस्थानी शैली के चित्रों की विशेषताएँ क्या थीं?
  18. प्रश्न- राजस्थानी शैली के प्रमुख बिंदु एवं केन्द्र कौन-से हैं ?
  19. प्रश्न- राजस्थानी उपशैलियाँ कौन-सी हैं ?
  20. प्रश्न- किशनगढ़ शैली पर निबन्धात्मक लेख लिखिए।
  21. प्रश्न- किशनगढ़ शैली के विकास एवं पृष्ठ भूमि के विषय में आप क्या जानते हैं?
  22. प्रश्न- 16वीं से 17वीं सदी के चित्रों में किस शैली का प्रभाव था ?
  23. प्रश्न- जयपुर शैली की विषय-वस्तु बतलाइए।
  24. प्रश्न- मेवाड़ चित्र शैली के उद्भव एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
  25. प्रश्न- किशनगढ़ चित्रकला का परिचय दीजिए।
  26. प्रश्न- किशनगढ़ शैली की विशेषताएँ संक्षेप में लिखिए।
  27. प्रश्न- मेवाड़ स्कूल ऑफ पेंटिंग पर एक लेख लिखिए।
  28. प्रश्न- मेवाड़ शैली के प्रसिद्ध चित्र कौन से हैं?
  29. प्रश्न- मेवाड़ी चित्रों का मुख्य विषय क्या था?
  30. प्रश्न- मेवाड़ चित्र शैली की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए ।
  31. प्रश्न- मेवाड़ एवं मारवाड़ शैली के मुख्य चित्र कौन-से है?
  32. प्रश्न- अकबर के शासनकाल में चित्रकारी तथा कला की क्या दशा थी?
  33. प्रश्न- जहाँगीर प्रकृति प्रेमी था' इस कथन को सिद्ध करते हुए उत्तर दीजिए।
  34. प्रश्न- शाहजहाँकालीन कला के चित्र मुख्यतः किस प्रकार के थे?
  35. प्रश्न- शाहजहाँ के चित्रों को पाश्चात्य प्रभाव ने किस प्रकार प्रभावित किया?
  36. प्रश्न- जहाँगीर की चित्रकला शैली की विशेषताएँ लिखिए।
  37. प्रश्न- शाहजहाँ कालीन चित्रकला मुगल शैली पर प्रकाश डालिए।
  38. प्रश्न- अकबरकालीन वास्तुकला के विषय में आप क्या जानते है?
  39. प्रश्न- जहाँगीर के चित्रों पर पड़ने वाले पाश्चात्य प्रभाव की चर्चा कीजिए ।
  40. प्रश्न- मुगल शैली के विकास पर एक टिप्पणी लिखिए।
  41. प्रश्न- अकबर और उसकी चित्रकला के बारे में आप क्या जानते हैं?
  42. प्रश्न- मुगल चित्रकला शैली के सम्बन्ध में संक्षेप में लिखिए।
  43. प्रश्न- जहाँगीर कालीन चित्रों को विशेषताएं बतलाइए।
  44. प्रश्न- अकबरकालीन मुगल शैली की विशेषताएँ क्या थीं?
  45. प्रश्न- बहसोली चित्रों की मुख्य विषय-वस्तु क्या थी?
  46. प्रश्न- बसोहली शैली का विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए।
  47. प्रश्न- काँगड़ा की चित्र शैली के बारे में क्या जानते हो? इसकी विषय-वस्तु पर प्रकाश डालिए।
  48. प्रश्न- काँगड़ा शैली के विषय में आप क्या जानते हैं?
  49. प्रश्न- बहसोली शैली के इतिहास पर प्रकाश डालिए।
  50. प्रश्न- बहसोली शैली के लघु चित्रों के विषय में आप क्या जानते हैं?
  51. प्रश्न- बसोहली चित्रकला पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
  52. प्रश्न- बहसोली शैली की चित्रगत विशेषताएँ लिखिए।
  53. प्रश्न- कांगड़ा शैली की विषय-वस्तु किस प्रकार कीं थीं?
  54. प्रश्न- गढ़वाल चित्रकला पर निबंधात्मक लेख लिखते हुए, इसकी विशेषताएँ बताइए।
  55. प्रश्न- गढ़वाल शैली की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की व्याख्या कीजिए ।
  56. प्रश्न- गढ़वाली चित्रकला शैली का विषय विन्यास क्या था ? तथा इसके प्रमुख चित्रकार कौन थे?
  57. प्रश्न- गढ़वाल शैली का उदय किस प्रकार हुआ ?
  58. प्रश्न- गढ़वाल शैली की विशेषताएँ लिखिये।
  59. प्रश्न- तंजावुर के मन्दिरों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
  60. प्रश्न- तंजापुर पेंटिंग का परिचय दीजिए।
  61. प्रश्न- तंजावुर पेंटिंग की शैली किस प्रकार की थी?
  62. प्रश्न- तंजावुर कलाकारों का परिचय दीजिए तथा इस शैली पर किसका प्रभाव पड़ा?
  63. प्रश्न- तंजावुर पेंटिंग कहाँ से संबंधित है?
  64. प्रश्न- आधुनिक समय में तंजावुर पेंटिंग का क्या स्वरूप है?
  65. प्रश्न- लघु चित्रकला की तंजावुर शैली पर एक लेख लिखिए।

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